कभी आपने सोचा है?
झूठ बोलने वाला तरक्की कर रहा है, और सच बोलने वाला परेशान क्यों है?
जो सच्चा है, ईमानदार है, वो ही दुनिया में सबसे ज़्यादा ठुकराया क्यों जाता है?
कभी-कभी लगता है कि इस दुनिया में अच्छाई की कोई कीमत ही नहीं बची।
लेकिन रुकिए… यही वो समय है, जब हमें भगवद गीता की ओर लौटना चाहिए।
कहते हैं – “सच का रास्ता सीधा तो होता है, लेकिन अकेला होता है।”
हमारे समाज में अगर आप सच बोलते हैं, भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाते हैं, या धर्म के रास्ते पर चलते हैं – तो लोग आपको कमज़ोर, पागल, या असामाजिक कह देते हैं।
एक ईमानदार ऑफिसर हो, एक सच्चा विद्यार्थी हो, या एक नेक व्यापारी – हर कोई जिसने सही रास्ता चुना है, उसे कभी न कभी सताया ज़रूर गया है।
पर याद रखिए…
ये लड़ाई केवल इंसानों से नहीं, ये तो एक धर्म और अधर्म की टकराहट है।
भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा था:
“सुखदुःखे समे कृत्वा लाभालाभौ जयाजयौ।
ततो युद्धाय युज्यस्व नैवं पापमवाप्स्यसि॥”
इसका अर्थ है:
“तू सुख-दुख, लाभ-हानि, और जीत-हार को समान समझकर धर्म के लिए युद्ध कर। ऐसा करने से तू कभी पापी नहीं होगा।”
श्रीकृष्ण ये नहीं कह रहे कि सच बोलने से जीवन आसान हो जाएगा।
वो कह रहे हैं कि – धर्म पर अडिग रहो, चाहे दुनिया तुम्हें तोड़ने की कितनी भी कोशिश करे।
महाभारत में भी तो यही हुआ था।
युधिष्ठिर ने कभी झूठ नहीं बोला, फिर भी उन्हें जुआ, वनवास, और अपमान सहना पड़ा।
क्यों?
क्योंकि जब अधर्म बढ़ता है, तो धर्म की परीक्षा ली जाती है।
अगर आज आप सच के रास्ते पर चल रहे हैं, और आपको अकेलापन महसूस हो रहा है – तो समझ लीजिए कि आप एक महान आत्मा की परीक्षा में हो।
दुनिया आपके खिलाफ खड़ी हो सकती है, लेकिन याद रखिए –
भगवान आपके साथ खड़े हैं।
वो हर आंसू देख रहे हैं, हर अपमान सुन रहे हैं।
जब समय आएगा, वही भगवान आपके लिए न्याय भी लाएंगे।
आपको बस अपने कर्मों में अडिग रहना है।
तो अगली बार जब कोई आपसे कहे,
“सच बोलने से क्या फायदा?”,
तो मुस्कराइए और कहिए –
“भगवान सब देख रहे हैं। मैं उनके रास्ते पर हूं।”
सत्य का रास्ता कठिन है, लेकिन वही मोक्ष का रास्ता है।
अगर आप भी सच के पथिक हैं, और ईश्वर में विश्वास रखते हैं – तो नीचे कमेंट करें:
“हरे ओम”
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जय श्रीकृष्ण!
सत्यमेव जयते।